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Last Updated : 17-11-2022

पृष्ठभूमि

कुशल भारत, भारत सरकार की एक पहल है जिसे देश के युवाओं को कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है जो उन्हें अधिक रोजगारपरक और अपने काम के माहौल में अधिक उत्पादक बनाते हैं। हमारे राष्ट्रीय कौशल मिशन के अध्यक्ष स्वयं माननीय प्रधान मंत्री हैं।

भारत आज एक ऐसा देश है जहां 65% युवा कामकाजी आयु वर्ग के है। यदि इस जनसांख्यिकीय लाभ को प्राप्त करने का कोई तरीका होगा, तो वह युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से ही होगा ताकि वे न केवल अपने व्यक्तिगत विकास में, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान कर सकें।

कुशल भारत समूचे देश के 40 क्षेत्रों में पाठ्यक्रम प्रदान करता है जो राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचे के तहत उद्योग और सरकार दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त मानकों से जुड़े होते हैं। यह पाठ्यक्रम एक व्यक्ति को काम के व्यावहारिक सुपुर्दगी पर ध्यान केंद्रित करने में और उसे अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाने में सहायता प्रदान करते हैं ताकि वह अपनी नौकरी के पहले दिन से ही तैयार रहे और कंपनियों को अपने नौकरी प्रोफाइल के लिए उसे प्रशिक्षण देने में निवेश न करना पड़े।

श्री धर्मेन्द्र प्रधान, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री और श्री राजीव चंद्रशेखर, कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री के मार्गदर्शन में 15 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए कुशल भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्राप्‍त हुआ है। कुशल भारत मिशन में प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक युवा शामिल होते हैं।

कौशल विकास के माध्यम से युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत की स्‍वतंत्रता के पश्‍चात पहली बार, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) का गठन किया गया है। भारत में कौशल इकोसिस्टम, कुछ बड़े सुधारों और नीतिगत हस्तक्षेपों पर ध्‍यान दे रहा है जो आज देश के कार्यबल को पुन: सुदृढ़ और सक्रिय कर रहे हैं; तथा युवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में रोजगार और विकास के अवसरों के लिए तैयार कर रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री की महत्‍वाकांक्षी स्‍कीम, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) से ही अब तक लगभग 1.37 करोड़ लोगों को कुशल बनाया गया है और नए सफल भारत के लिए तैयार किया गया है। देश में कौशल विकास के बुनियादी ढांचे के समर्थन के लिए अब तक 720 से अधिक प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) स्थापित किए जा चुके हैं। ये अद्यतन शिक्षाशास्त्र और प्रौद्योगिकी के उपयोग वाले अत्याधुनिक कौशल केंद्र हैं।

एमएसडीई, पीएमकेवीवाई के तहत इसके पूर्व शिक्षण मान्‍यता (आरपीएल) कार्यक्रम के माध्यम से अनौपचारिक साधनों द्वारा प्राप्‍त कौशल को मान्‍यता देता है और प्रमाणित करता है, जिससे असंगठित क्षेत्र को संगठित अर्थव्यवस्था में लाना एक बड़ा परिवर्तन है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 50 लाख से अधिक लोग प्रमाणित और औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुके हैं।

कुशल भारत देश में सभी कौशल विकास कार्यक्रमों में सामान्य मानदंडों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी लेता है ताकि वे सभी मानकीकृत और एक समान हों। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए कुशल भारत के तहत आईटीआई इकोसिस्‍टम को भी शामिल किया गया है।

मंत्रालय ने शिक्षुता अधिनियम 1961 में सक्रिय रूप से व्यापक सुधार किए हैं, जहां निजी क्षेत्र को अधिकतम नियंत्रण दिया गया है ताकि बाजार की आवश्यकता के अनुसार उद्योग मानकों को बनाए रखा जाए। उद्योग को और अधिक नियामक अधिकार दिए गए हैं जहां वे उन शिक्षुओं के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता है। यह एक बड़ा अवसर है जिसका उद्योग को लाभ उठाना चाहिए। एमएसडीई ने कौशल विकास और उद्योग से संबद्ध सबसे स्थायी मॉडल को बढ़ावा देने के लिए अगस्त 2016 में राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन स्‍कीम (एनएपीएस) नामक एक स्कीम भी शुरू की थी। इस स्कीम के तहत, भारत सरकार शिक्षुता के लिए वित्तीय लाभ प्रदान करती है। अब तक 7 लाख से अधिक शिक्षुता प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं।

एमएसडीई ने प्रधानमंत्री युवा योजना (पीएम-युवा) की भी शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य संभावित उद्यमियों और प्रारंभिक चरण के उद्यमियों को शिक्षित करना तथा संभावना का पता लगाना और आकांक्षीय उद्यमियों का समर्थन करने के लिए एक सांस्कृतिक बदलाव को उत्प्रेरित करना है। अभ्यर्थी प्रारंभिक व्यावसायिक वित्त पोषण में सहायता प्राप्त करने के लिए सरकार की मुद्रा योजना से जुड़े हैं।

कुशल भारत अब केवल घरेलू बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भौगोलिक प्रदर्शन और अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ सक्रिय रूप से संलग्न है। भारत एक युवा राष्ट्र है और एक कुशल कार्यबल निश्चित रूप से देश के भीतर न केवल बाजार की मांग को पूरा करने में सक्षम होगा बल्कि वैश्विक बाजार की मांग को भी पूरा करेगा।

किसी राष्ट्र की सफलता हमेशा उसके युवाओं की सफलता पर निर्भर करती है और कुशल भारत निश्चित रूप से इन युवा भारतीयों के लिए बहुत अधिक लाभ और अवसर प्रदान करेगा। वह दिन दूर नहीं है जब भारत एक कुशल समाज के रूप में विकसित होगा जहां सभी के लिए समृद्धि और प्रतिष्ठा होगी।